एक तलवार, छह लाशें: भैरू सिंह की वह रात, जिसने बूंदी को दहला दिया

बूंदी में 37 साल पहले हुए एक खौफनाक हत्याकांड की कहानी। भैरू सिंह ने पत्नी और पांच बच्चों को क्यों मौत के घाट उतारा? एक अपराध, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।

एक तलवार, छह लाशें: भैरू सिंह की वह रात, जिसने बूंदी को दहला दिया

 

एक तलवार, छह लाशें: भैरू सिंह की वह रात, जिसने बूंदी को दहला दिया 

एक शक, एक तलवार, और ख़त्म हुआ परिवार 😔

3 जून 1988… राजस्थान के बूंदी जिले का डाबलाना थाना। एक शख्स, हाथ में खून से सनी तलवार लिए, थाने में दाखिल होता है। उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं, कोई पछतावा नहीं। उसने छह हत्याएं की हैं, खुद कबूल करता है। यह शख्स था भैरू सिंह, जिसने अपनी पत्नी कजोड़बाई और अपने पांच मासूम बच्चों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। क्यों? वजह थी एक शक - पत्नी की बेवफाई का शक। एक ऐसा शक, जिसने एक पूरे परिवार को ख़त्म कर दिया।

 

शक की आग: कैसे सुलगने लगी चिंगारी 🔥

भैरू सिंह का दावा था कि उसे पंचायत चुनावों के दौरान पता चला कि उसकी पत्नी कजोड़बाई का किसी स्थानीय नेता के साथ अफेयर चल रहा है। यह बात उसे लोगों ने इशारों-इशारों में बताई थी। भैरू सिंह के मन में शक की एक चिंगारी सुलगने लगी। क्या यह सच है? क्या उसकी पत्नी उसे धोखा दे रही है?

🎨 "शक एक ऐसा ज़हर है, जो धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देता है।"

 

वह काली रात: जब शक बना शैतान 🌑

उस रात, भैरू सिंह ने कजोड़बाई से इस बारे में सवाल किया। कजोड़बाई ने इनकार किया, लेकिन भैरू सिंह को यकीन नहीं हुआ। दोनों के बीच झगड़ा हुआ, और आखिरकार कजोड़बाई ने कबूल कर लिया कि उसका फजलपुरा गांव के भोजना गुर्जर के साथ अफेयर है।

यह सुनते ही भैरू सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसका शक सच निकला था। वह गुस्से और धोखे की भावना से भर गया। उस रात जैसे-तैसे गुजरी, लेकिन भैरू सिंह के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी - बदला।

 

क़त्ल की वह दोपहर: जब खून से रंगी धरती 🩸

 

अगले दिन दोपहर में, कजोड़बाई घर की दीवार के पत्थर ठीक कर रही थी। उसी दौरान, भैरू सिंह तलवार लेकर आया।

 

  • एक वार, और कजोड़बाई का सिर धड़ से अलग हो गया।
     
  • पास ही खेल रहे बच्चे - राज बहादुर, नंद कंवर, और हंसा - चीख पड़े।

 

  • लेकिन भैरू सिंह नहीं रुका। उसने एक-एक करके तीनों बच्चों को भी तलवार से काट डाला।

 

🎨 "गुस्सा इंसान को अंधा कर देता है, उसे सही-गलत का फर्क नहीं दिखता।"

 

मासूमों का खून: इंसानियत शर्मसार 😥

भैरू सिंह ने पुलिस को बताया कि जब उसने ये हत्याएं कीं, तो उसका 8 साल का बच्चा नाथू एक पेड़ के पास खड़ा था। उसने उसे भी मार डाला। फिर, उसका 4 साल का बच्चा मनराज चिल्लाया और हैंडपंप की तरफ भागा। भैरू सिंह ने उसका पीछा किया और उसे भी तलवार से मार डाला।

उसकी साली और भाभी रतन कंवर ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहीं। भैरू सिंह ने अपना काम पूरा कर लिया था - उसने अपने पूरे परिवार को ख़त्म कर दिया था।

 

कानून का शिकंजा: फांसी की सजा ⚖️

 

भैरू सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। अदालत में मुकदमा चला, और उसे फांसी की सजा सुनाई गई। भैरू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई।

20 अगस्त 1994 को, भैरू सिंह को फांसी पर लटका दिया गया। उसके अपराध की सजा उसे मिल गई, लेकिन उस परिवार का क्या, जो हमेशा के लिए ख़त्म हो गया?

 

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: एक झकझोर देने वाला फैसला 🗣️

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा: "पशु-पक्षी जैसी निम्न प्रजातियां भी अपनी संतानों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाती हैं। ऐसे में इंसान होने के बावजूद भैरू सिंह इतनी नीचता पर उतर आया कि उसने अपनी पत्नी और बच्चों की, बिना किसी गलती के, सिर्फ़ इस शक के आधार पर हत्या कर दी…"

🎨 "यह घटना बर्बर, वीभत्स और जघन्य अपराध तो है ही, समाज के विरुद्ध विद्रोह और मानवीय गरिमा का अपमान है।"

 

इस कहानी से सबक: शक का इलाज, प्यार और विश्वास ❤️

भैरू सिंह की कहानी एक चेतावनी है। यह बताती है कि शक कितना खतरनाक हो सकता है। शक एक ऐसी बीमारी है, जो रिश्तों को खोखला कर देती है और इंसान को शैतान बना देती है।

इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें अपने रिश्तों में प्यार और विश्वास बनाए रखना चाहिए। अगर कोई शक है, तो उसे खुलकर बात करके दूर करना चाहिए। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।

 

  • शक को दूर करने के लिए बातचीत करें।
     
  • अपने रिश्तों में विश्वास बनाए रखें।
     
  • गुस्से पर काबू रखें।


 

  • हिंसा से दूर रहें।

 

बूंदी की वह रात: एक दाग, जो कभी नहीं मिटेगा 🌑

भैरू सिंह की कहानी बूंदी के इतिहास का एक काला अध्याय है। यह एक ऐसा दाग है, जो कभी नहीं मिटेगा। यह कहानी हमें हमेशा याद दिलाती रहेगी कि शक और गुस्सा कितने विनाशकारी हो सकते हैं।

अंत में: "शक की आग में जलने से अच्छा है, प्यार के सागर में डूब जाना।"

user