रणथंभौर: जब रक्षक ही बना शिकार - एक सर्पमित्र की व्यथा-कथा
शनिवार की शाम रणथंभौर के आदिनाथ नगर में एक अजीब सी बेचैनी थी। हवा में सिहरन थी और लोगों के दिलों में डर। कारण था एक कोबरा

रणथंभौर: जब रक्षक ही बना शिकार - एक सर्पमित्र की व्यथा-कथा
शनिवार की शाम रणथंभौर के आदिनाथ नगर में एक अजीब सी बेचैनी थी। हवा में सिहरन थी और लोगों के दिलों में डर। कारण था एक कोबरा, जो एक घर के स्टोर में छिपकर बैठा था। लेकिन इस डर के माहौल में एक उम्मीद की किरण भी थी - आवेश शर्मा, रणथंभौर के स्नेक कैचर। आवेश, जो अब तक हजारों सांपों को बचा चुके थे, आज खुद खतरे में थे।
कोबरा का दंश: एक पल में बदल गई जिंदगी 🐍
आवेश शर्मा, जिन्हें लोग प्यार से 'सांपों का दोस्त' कहते हैं, उस शाम भी अपनी जान हथेली पर रखकर कोबरा को रेस्क्यू करने पहुंचे थे। स्टोर में अंधेरा था, और कोबरा शायद डरा हुआ था। जैसे ही आवेश ने उसे पकड़ने की कोशिश की, उसने पलटकर वार किया। एक पल, और कोबरा का विषैला दंश आवेश के दाहिने हाथ के अंगूठे में धंस गया।
🎨 "वो पल... ऐसा लगा जैसे किसी ने गर्म लोहे से दाग दिया हो," आवेश ने अस्पताल के बिस्तर से बताया।
दर्द असहनीय था, लेकिन आवेश ने हिम्मत नहीं हारी। उन्हें पता था कि हर पल कीमती है। तुरंत उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने एंटी वेनम देना शुरू किया। पांच एंटी वेनम के बाद, उनकी हालत स्थिर हुई।
मौत से जंग: अस्पताल में हर पल भारी 🏥
अस्पताल में, हर पल भारी था। आवेश की पत्नी और बच्चे बाहर इंतजार कर रहे थे, उनकी आंखों में डर और प्रार्थनाएं थीं। डॉक्टर और नर्सें अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन हर किसी को पता था कि जिंदगी और मौत के बीच एक बारीक रेखा है।
आवेश ने बताया कि उन्हें अपने परिवार, अपने गांव और अपने उन सभी सांपों की याद आ रही थी जिन्हें उन्होंने बचाया था। उन्हें लग रहा था कि शायद यह उनकी आखिरी रात है।
🎨 "मैंने सोचा, क्या यही मेरी किस्मत है? क्या मैं अब कभी किसी सांप को नहीं बचा पाऊंगा?" आवेश ने कहा, उनकी आवाज में दर्द था।
सर्पमित्र का संघर्ष: चौथी बार मौत से मुकाबला 💔
यह पहली बार नहीं था जब आवेश को सांप ने काटा था। इससे पहले भी तीन बार उनके साथ ऐसा हो चुका था। लेकिन हर बार, उन्होंने मौत को मात दी थी। आवेश बताते हैं कि सांपों को बचाना उनका जुनून है, और वह इसे कभी नहीं छोड़ सकते।
- पहला पॉइंट: आवेश शर्मा पिछले कई सालों से सांपों को बचाने का काम कर रहे हैं।
- दूसरा पॉइंट: उन्होंने रणथंभौर और आसपास के इलाकों में हजारों सांपों को रेस्क्यू किया है।
- तीसरा पॉइंट: आवेश सांपों के बारे में जागरूकता फैलाने का भी काम करते हैं।
आवेश का कहना है कि सांपों को मारना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ देना चाहिए। वे लोगों को सांपों के बारे में सही जानकारी देने की कोशिश करते हैं, ताकि लोग डरें नहीं और सांपों को नुकसान न पहुंचाएं।
उम्मीद की किरण: जिंदगी की वापसी ✨
अस्पताल में कई दिन बीत गए। धीरे-धीरे, आवेश की हालत में सुधार होने लगा। डॉक्टरों ने बताया कि एंटी वेनम ने काम किया है, और अब वह खतरे से बाहर हैं। यह खबर सुनकर आवेश के परिवार और दोस्तों ने राहत की सांस ली।
🎨 "मुझे लगा जैसे मुझे एक नई जिंदगी मिली है," आवेश ने कहा।
आवेश अब पूरी तरह से ठीक हैं और जल्द ही अपने काम पर वापस लौटेंगे। उनका कहना है कि इस घटना ने उन्हें और भी मजबूत बना दिया है, और वह अब और भी ज्यादा लगन से सांपों को बचाने का काम करेंगे।
सबक और संदेश: प्रकृति का सम्मान 🌿
आवेश की कहानी हमें सिखाती है कि प्रकृति का सम्मान करना कितना जरूरी है। सांप भी इस प्रकृति का हिस्सा हैं, और उन्हें भी जीने का अधिकार है। हमें सांपों से डरने की बजाय उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए।
आवेश शर्मा जैसे लोग, जो अपनी जान जोखिम में डालकर सांपों को बचाते हैं, हमारे समाज के सच्चे हीरो हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
"सांपों को बचाओ, प्रकृति को बचाओ।"