ज़ुबीन के अपमान पर भड़का तेजपुर विश्वविद्यालय: कुलपति के खिलाफ शिक्षकों का मोर्चा

तेजपुर विश्वविद्यालय में ज़ुबीन गर्ग पर कुलपति की टिप्पणी और अनियमितताओं के आरोपों के बाद शिक्षक विरोध पर उतरे। पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए इस्तीफे की मांग।

ज़ुबीन के अपमान पर भड़का तेजपुर विश्वविद्यालय: कुलपति के खिलाफ शिक्षकों का मोर्चा

तेजपुर विश्वविद्यालय में उबाल: ज़ुबीन के अपमान पर शिक्षकों का आक्रोश 🎭

असम के सांस्कृतिक प्रतीक, ज़ुबीन गर्ग के प्रति कथित अपमानजनक टिप्पणी और विश्वविद्यालय में व्याप्त वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के चलते तेजपुर विश्वविद्यालय (ते.वि.) में भूचाल आ गया है। विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र, दोनों ही कुलपति (वीसी) प्रोफेसर शंभू नाथ सिंह के खिलाफ एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तेजपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (टुटा) ने वीसी को हटाने की मांग की है, उनका आरोप है कि वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और संस्थागत अखंडता को खतरे में डाल दिया है।

ज़ुबीन का अपमान: चिंगारी जो शोला बनी 🔥

टुटा ने एक बयान जारी कर दिवंगत ज़ुबीन गर्ग के बारे में कुलपति की टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। बयान में कहा गया है कि वीसी की टिप्पणी से जनता की भावनाएं गहरी आहत हुई हैं। छात्रों का विरोध एक हफ्ते पहले शुरू हुआ था, जब छात्र परिषद के चुनावों को 20 सितंबर को कराने का फैसला किया गया, जो ज़ुबीन की मृत्यु के ठीक एक दिन बाद था, और असम में शोक की अवधि चल रही थी।

🎨 "हम किसी भी ऐसे व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो हमारी संस्कृति और हमारे नायकों का अपमान करता है," एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा।

विरोध तब और तेज हो गया जब ते.वि. के जनसंपर्क अधिकारी समरेश बर्मन ने पिछले हफ्ते इस्तीफा दे दिया, उन्होंने कहा, "मैं अब उस प्रणाली का हिस्सा नहीं रह सकता जो हमारी आवाजों को दबाती है।"

अनियमितताओं का अंबार: भ्रष्टाचार की गहरी खाई 💰

टुटा ने सिंह पर ऐसे ठेके देने का आरोप लगाया है जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय में निम्न-गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा तैयार हुआ है। उन्होंने असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इन आरोपों का विस्तृत विवरण दिया गया है और सिंह को हटाने की मांग की गई है।

प्रोफेसर कुसुम बनिया, टुटा अध्यक्ष, ने सिंह के तहत विश्वविद्यालय के संचालन पर चिंता व्यक्त की। ज्ञापन में कथित वित्तीय अनियमितताओं पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 'संदिग्ध' खरीद प्रथाओं, अनुबंध पुरस्कार, स्क्रैप का निपटान और उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (हेफा) द्वारा वित्त पोषित निर्माण शामिल हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई उदाहरणों में "निम्न-गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे" का निर्माण हुआ है।

🎨 "अनुबंध प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है," विज्ञप्ति में कहा गया है, जिसमें बार-बार एक ही विक्रेता को पुरस्कार देने और उचित दस्तावेज़ीकरण के बिना काम को प्रमाणित करने के लिए संकाय पर अनुचित दबाव डालने का उल्लेख किया गया है।

टुटा ने प्रो-वाइस चांसलर की अनुपस्थिति, अनियमित नियुक्तियों, 'मनमाने' कर्मचारियों के निलंबन और रजिस्ट्रार जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रिक्तियों जैसे मुद्दों को भी उठाया। शिक्षक संघ ने सिंह पर अनधिकृत पद बनाने और अत्यधिक भत्ते देने का आरोप लगाया है। टुटा ने सिंह को हटाने और गहन जांच की मांग की है।

जनता का आक्रोश: राष्ट्रपति तक पहुंची शिकायत 🗣️

जनहित सुरक्षा समिति, तेजपुर ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज़ुबीन गर्ग के प्रति कथित अनादर के बारे में लिखा, जिसमें कहा गया है कि सिंह की टिप्पणी ने अविश्वास पैदा किया और दुश्मनी को बढ़ावा दिया, जिससे तेजपुर विश्वविद्यालय में उनकी पद के लिए अनुपयुक्तता प्रदर्शित होती है।

विरोध के मुख्य बिंदु:

  • ज़ुबीन गर्ग के प्रति अपमानजनक टिप्पणी

  • वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं

  • निम्न-गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा

  • पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी

  • अनियमित नियुक्तियां और निलंबन

  • अनधिकृत पद और अत्यधिक भत्ते

आगे की राह: शिक्षकों की मांगें

  • कुलपति शंभू नाथ सिंह को तत्काल हटाया जाए।

  • विश्वविद्यालय में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं की गहन जांच हो।

  • विश्वविद्यालय में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।

  • शिक्षकों और छात्रों की आवाजों को सुना जाए और उनका सम्मान किया जाए।

🎨 "हम तब तक हार नहीं मानेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं," टुटा के एक सदस्य ने दृढ़ता से कहा।

निष्कर्ष: क्या विश्वविद्यालय प्रशासन जागेगा? 🏛️

तेजपुर विश्वविद्यालय में जो हो रहा है, वह सिर्फ एक विश्वविद्यालय का मामला नहीं है। यह एक चेतावनी है कि जब सत्ता में बैठे लोग अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझते हैं, तो क्या हो सकता है। यह एक अनुस्मारक है कि हमें अपनी संस्कृति, अपने नायकों और अपनी संस्थाओं की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस विरोध को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वह शिक्षकों और छात्रों की मांगों को पूरा करने के लिए कदम उठाता है या नहीं।

ज़ुबीन तो चले गए, पर उनकी आवाज हमेशा गूंजती रहेगी - और इस बार, यह तेजपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों की आवाज के साथ मिलकर और भी बुलंद हो गई है।

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