संसार से वैराग्य: उदयपुर में तीन करोड़पतियों की दीक्षा - एक नई जिंदगी की शुरुआत
उदयपुर, राजस्थान - झीलों की नगरी उदयपुर एक अद्भुत घटना की साक्षी बनने जा रही है। तीन ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने सांसारिक जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ

सांसारिक सुखों का त्याग: क्यों लिया यह फैसला? 🤔
ये कहानी सिर्फ धन-दौलत त्यागने की नहीं है, बल्कि उस आंतरिक शांति और मुक्ति की खोज की है जो इन तीनों व्यक्तियों को सांसारिक जीवन में नहीं मिल पाई। आधुनिक जीवनशैली की आपाधापी, प्रतिस्पर्धा, और अनिश्चितता के बीच, इन तीनों ने एक ऐसा रास्ता चुना है जो उन्हें सच्ची खुशी और संतोष की ओर ले जाएगा।
तीनों दीक्षार्थियों का परिचय और उनकी प्रेरणा 🌟
ये तीनों दीक्षार्थी हैं:
- आदर्श कुमार जैन: फरीदाबाद (हरियाणा) के रहने वाले, मैकेनिकल इंजीनियर आदर्श कुमार जैन (68 वर्ष) एक सफल पेपर मिल स्पेयर पार्ट्स व्यवसायी हैं। 🎨 “मैंने जीवन में बहुत कुछ कमाया, लेकिन मन को शांति नहीं मिली। मुझे हमेशा लगता था कि कुछ अधूरा है। प्रभु भक्ति और धर्म-कर्म में ही असली सुख है।”
- अरविंद कोटड़िया: मुंबई के मलाड में रहने वाले अरविंद कोटड़िया (76 वर्ष) पावरलूम कमीशन एजेंट हैं। उन्होंने गुरुदेव आचार्य पुण्य सागर महाराज के साथ 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की, जिसने उनके जीवन को बदल दिया। 🎨 “उस यात्रा ने मुझे एहसास दिलाया कि आत्मा का कल्याण ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है।”
- देवीलाल भोरावत: मूल रूप से उदयपुर जिले के बंबोरा के पास गुड़ली गांव के रहने वाले देवीलाल जैन (76 वर्ष) मुंबई में इलेक्ट्रिक और हार्डवेयर का बिजनेस करते हैं। उनकी पत्नी, बबली देवी, 4 साल पहले दीक्षा लेकर साध्वी बन चुकी हैं। 🎨 "मेरी पत्नी की दीक्षा ने मुझे और भी प्रेरित किया। अब मैं भी अपने जीवन को धर्म के मार्ग पर समर्पित करना चाहता हूं।"
पारिवारिक जीवन और त्याग का दर्द 💔
यह निर्णय इन तीनों व्यक्तियों के लिए आसान नहीं था। उन्होंने अपने परिवारों, अपने बच्चों, और अपने स्थापित व्यवसायों को छोड़ने का फैसला किया। यह त्याग का दर्द उनके चेहरों पर साफ़ झलक रहा था, लेकिन उनके मन में एक अटूट विश्वास और दृढ़ संकल्प भी था।
आदर्श कुमार जैन: इंजीनियरिंग से वैराग्य तक का सफर
आदर्श कुमार जैन ने रूड़की यूनिवर्सिटी से 1980 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने एस्कॉर्ट लिमिटेड फरीदाबाद में असिस्टेंट मैनेजर प्रॉडक्शन के पद पर 1992 तक काम किया। इसके बाद उन्होंने अपना बिजनेस शुरू किया, जो सालाना 3 करोड़ का टर्नओवर करता था। उनके परिवार में पत्नी पूनम जैन, दो बेटे और एक बेटी डॉ. प्राची हैं।
- इंजीनियरिंग की पढ़ाई
- सफल व्यवसाय
- पारिवारिक जीवन
इन सब के बावजूद, आदर्श कुमार जैन ने सांसारिक सुखों को त्यागकर वैराग्य का मार्ग चुना।
अरविंद कोटड़िया: 2000 किलोमीटर की यात्रा ने बदली जिंदगी
अरविंद कोटड़िया मुंबई में पावरलूम कमीशन एजेंट का काम करते थे। वे सालाना लाखों रुपए कमाते थे और एक लग्जरी लाइफ जी रहे थे। लेकिन गुरुदेव आचार्य पुण्य सागर महाराज के साथ 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा ने उनके जीवन को बदल दिया।
- लग्जरी लाइफ
- सफल व्यवसाय
- आध्यात्मिक यात्रा
इस यात्रा के बाद, अरविंद कोटड़िया ने अपनी आत्मा का कल्याण करने का फैसला किया।
देवीलाल भोरावत: पत्नी की दीक्षा बनी प्रेरणा
देवीलाल भोरावत मूल रूप से उदयपुर जिले के रहने वाले हैं। वे 13 साल की उम्र में अपना गांव छोड़कर नौकरी के लिए अहमदाबाद चले गए थे। 15 साल की उम्र में वे अहमदाबाद से मुंबई चले गए। उनकी पत्नी, बबली देवी, 4 साल पहले दीक्षा लेकर साध्वी बन चुकी हैं।
- संघर्षपूर्ण जीवन
- सफल व्यवसाय
- पत्नी की प्रेरणा
देवीलाल भोरावत ने अपने बेटों को कारोबार सौंपकर धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
उदयपुर में दीक्षा समारोह: एक भव्य आयोजन
उदयपुर में विद्या निकेतन स्कूल (सेक्टर 4) में दीक्षा समारोह की तैयारियां चल रही हैं। 5 अक्टूबर को होने वाले इस समारोह में हजारों लोग शामिल होंगे। दीक्षार्थियों की शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें जैन समाज के लोग पीले कपड़े पहनकर शामिल होंगे।
दीक्षा समारोह की रस्में
दीक्षा समारोह में कई तरह की रस्में होंगी, जिनमें हल्दी, मेहंदी, और गोद भराई शामिल हैं। ये रस्में दीक्षार्थियों के सांसारिक जीवन से विदाई का प्रतीक हैं।
- हल्दी की रस्म
- मेहंदी की रस्म
- गोद भराई की रस्म
आचार्य पुण्य सागर महाराज का मार्गदर्शन
आचार्य पुण्य सागर महाराज जुलाई से उदयपुर में चातुर्मास कर रहे हैं। चातुर्मास के दौरान ही तीनों जैन श्रावकों को दीक्षा दिलाई जाएगी। आचार्य पुण्य सागर महाराज इन तीनों व्यक्तियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
एक नई जिंदगी की शुरुआत: क्या होगा आगे?
दीक्षा लेने के बाद, ये तीनों व्यक्ति साधु बन जाएंगे। वे सांसारिक सुखों का त्याग कर एक सरल और तपस्वी जीवन जिएंगे। वे धर्म का प्रचार करेंगे और लोगों को सही मार्ग दिखाएंगे।
त्याग और बलिदान का महत्व
इन तीनों व्यक्तियों की कहानी हमें त्याग और बलिदान का महत्व सिखाती है। यह हमें बताती है कि सच्ची खुशी और संतोष धन-दौलत में नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन में है।
🎨 "जीवन एक यात्रा है, और हर यात्रा का एक अंत होता है। लेकिन यह अंत एक नई शुरुआत भी हो सकता है।"
समाज पर प्रभाव
इन तीनों व्यक्तियों का दीक्षा लेने का फैसला समाज पर गहरा प्रभाव डालेगा। यह लोगों को प्रेरित करेगा कि वे अपने जीवन के लक्ष्यों पर पुनर्विचार करें और सच्ची खुशी की खोज करें।
"मोह माया त्याग, आत्मा से नाता जोड़!"