QCOs का मकड़जाल: MSMEs पर गुणवत्ता नियंत्रण के बढ़ते दबाव का भावनात्मक विश्लेषण
QCOs का मकड़जाल: MSMEs पर गुणवत्ता नियंत्रण के बढ़ते दबाव का भावनात्मक विश्लेषण

QCOs का मकड़जाल: MSMEs पर गुणवत्ता नियंत्रण के बढ़ते दबाव का भावनात्मक विश्लेषण
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) इन दिनों एक अजीब कश्मकश से जूझ रहे हैं। एक तरफ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत का नारा बुलंद कर रही है, वहीं दूसरी तरफ क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स (QCOs) का जाल बिछाकर MSMEs के लिए कारोबार करना मुश्किल होता जा रहा है। यह एक ऐसा विरोधाभास है, जो छोटे उद्यमियों को गहरी निराशा में धकेल रहा है।
गुणवत्ता नियंत्रण के नाम पर बढ़ता हस्तक्षेप 📜
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) द्वारा पिछले तीन वर्षों में जारी किए गए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स (QCOs) की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की सिफारिशों पर BIS ने 84 QCOs जारी किए हैं, जो कि उसके द्वारा प्रशासित कुल 187 QCOs का लगभग 45% है। इन 84 QCOs में 343 उत्पादों को शामिल किया गया है। कहने को तो QCOs घरेलू और आयातित उत्पादों के लिए कुछ गुणवत्ता मानकों का पालन करना अनिवार्य बनाते हैं, लेकिन इनका MSMEs पर क्या असर हो रहा है, यह एक गंभीर सवाल है।
QCOs: क्या ये गैर-टैरिफ बाधाएं हैं? 🤔
MSMEs का आरोप है कि QCOs गैर-टैरिफ बाधाओं के समान हैं, जिससे उनके लिए इनपुट की लागत बढ़ गई है। NITI आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी हाल ही में कहा था कि QCOs "घातक हस्तक्षेप" हैं, जिन्होंने कुछ इनपुट के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे MSMEs को बड़ी कंपनियों के लिए बहुत अधिक कीमत पर इन्हें खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह एक विडंबना ही है कि सरकार एक तरफ MSMEs को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे नियम बनाती है, जो उनके विकास में बाधक बनते हैं।
सरकारी आंकड़ों की कहानी 📊
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक अधिसूचित कुल 187 QCOs में से अधिकांश, यानी 86 QCOs (362 उत्पादों को कवर करते हुए) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की सिफारिश पर जारी किए गए। इसके बाद रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग की सिफारिश पर 69 QCOs (74 उत्पादों को कवर करते हुए) और कपड़ा मंत्रालय की सिफारिश पर 10 QCOs (76 उत्पादों को कवर करते हुए) जारी किए गए। यह दर्शाता है कि QCOs जारी करने में कुछ मंत्रालयों की सक्रिय भूमिका रही है, लेकिन MSMEs पर इसके प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन किए बिना।
NITI आयोग की चिंता 😟
MSME संघों के एक वर्ग द्वारा बड़ी संख्या में शिकायतों के बाद, NITI आयोग के सदस्य राजीव गाबा (पूर्व कैबिनेट सचिव) के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय समिति ने हाल ही में एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की। यह दर्शाता है कि सरकार MSMEs की चिंताओं को लेकर गंभीर है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
QCOs की समय-सीमा 🗓️
वर्ष-वार QCO डेटा से पता चलता है कि 2022-23 में केवल 10 QCOs से, 2023-24 में इनकी संख्या बढ़कर 59 हो गई। 2024-25 में, यह संख्या घटकर 15 हो गई, और चालू वित्त वर्ष में अब तक चार QCOs अधिसूचित किए गए हैं। पिछले तीन वर्षों में जारी किए गए QCOs में जूट बैग, पानी की बोतलें, हेलमेट, मेडिकल टेक्सटाइल, एग्रो टेक्सटाइल, फर्नीचर, गैस स्टोव, सीलिंग फैन, प्राइमरी लीड, सोलर थर्मल सिस्टम और स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब जैसे उत्पाद शामिल हैं। इन उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को QCOs के दायरे में लाने से MSMEs पर अनुपालन का बोझ बढ़ गया है।
उच्च-स्तरीय समिति की बैठक 🤝
गाबा की अध्यक्षता वाली गैर-वित्तीय नियामक सुधारों पर उच्च-स्तरीय समिति (HLC-NFRR) ने 6 सितंबर को अपनी दूसरी बैठक की। बैठक के दौरान, समिति ने BIS द्वारा प्रशासित QCOs से संबंधित मुद्दों और QCOs के तहत प्रमाणन प्राप्त करने में उद्योगों और हितधारकों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। यह दर्शाता है कि सरकार MSMEs की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने के लिए प्रयासरत है।
QCOs जारी करने की प्रक्रिया ⚙️
एक अधिकारी ने भारत में QCOs जारी करने की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि संबंधित लाइन मंत्रालय उन उत्पादों की पहचान करता है जिनके लिए मानकों का अनिवार्य अनुपालन आवश्यक है। इसके बाद यह उद्योग और BIS सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श करता है और फिर एक मसौदा QCO तैयार करता है। QCO को अंतिम रूप देने से पहले, मसौदे को विश्व व्यापार संगठन (WTO) तकनीकी बाधा व्यापार (TBT) वेबसाइट पर होस्ट किया जाता है, जहां अन्य देश टिप्पणी कर सकते हैं। इसके बाद, लाइन मंत्रालय QCOs जारी करता है, जिससे उद्योग को उन्हें लागू करने के लिए आमतौर पर 6 महीने या उससे अधिक का समय मिलता है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है, लेकिन MSMEs का मानना है कि उनकी चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया जाता है।
व्यापार सौदों का दबाव 💼
QCOs पर विचार-विमर्श अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ भारत के व्यापार सौदों और ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ जुर्माने के बीच महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि सरकार पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार दायित्वों को पूरा करने का दबाव है, लेकिन उसे MSMEs के हितों की भी रक्षा करनी है।
BIS की भूमिका 🏢
भारत में, BIS विभिन्न उत्पादों के लिए भारतीय मानक तैयार करता है। BIS प्रमाणन योजना प्रकृति में स्वैच्छिक है, लेकिन कई उत्पादों के लिए, विभिन्न विचारों जैसे कि सार्वजनिक हित, मानव, पशु या पौधे के स्वास्थ्य की सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा, अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम और राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत केंद्र सरकार द्वारा भारतीय मानकों का अनुपालन अनिवार्य कर दिया गया है। BIS वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, "ऐसे उत्पादों के लिए, केंद्र सरकार QCOs जारी करके BIS से लाइसेंस या अनुरूपता प्रमाण पत्र (CoC) के तहत मानक चिह्न के अनिवार्य उपयोग का निर्देश देती है।" BIS अधिनियम, 2016 सरकार को अनिवार्य प्रमाणन के माध्यम से मानकीकरण को अनिवार्य करने का अधिकार देता है।
QCOs का उद्देश्य 🎯
सूत्रों का कहना है कि QCOs का उद्देश्य राष्ट्रीय गुणवत्ता पारिस्थितिकी तंत्र को ऊपर उठाना और देश में घटिया सस्ते सामानों के आयात पर अंकुश लगाना है। यह एक सराहनीय उद्देश्य है, लेकिन MSMEs का मानना है कि QCOs को लागू करने के तरीके में सुधार की गुंजाइश है।
MSMEs की पीड़ा 💔
MSMEs का कहना है कि QCOs के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें शामिल हैं:
- अनुपालन लागत में वृद्धि
- प्रमाणन प्राप्त करने में कठिनाई
- इनपुट की उपलब्धता में कमी
- प्रतिस्पर्धा में कमी
- नवाचार में बाधा
इन समस्याओं के कारण, MSMEs का विकास बाधित हो रहा है और वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
समाधान की राह 🤔
MSMEs की समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- QCOs को लागू करने में MSMEs की कठिनाइयों को ध्यान में रखें।
- प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाएं।
- अनुपालन लागत को कम करने के लिए उपाय करें।
- MSMEs को तकनीकी सहायता प्रदान करें।
- QCOs के प्रभाव का नियमित मूल्यांकन करें।
इन कदमों को उठाकर, सरकार MSMEs को विकास के पथ पर अग्रसर कर सकती है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकती है।
🎨 "छोटे उद्यमियों के सपनों को कुचलने वाले नियम नहीं, बल्कि उन्हें उड़ान भरने में मदद करने वाले पंख चाहिए।"
अंत में, सरकार को यह याद रखना चाहिए कि MSMEs देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्हें समर्थन और प्रोत्साहन देकर ही हम एक मजबूत और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।